विरोधाभास

विरोधाभास

विरोधाभास

भूलना आसान है,
तो याददाश्त को क्यों अभिमान है?

गिरना आम है,
फिर, मार्यादा का क्या आत्मसम्मान है?

मानना आन है,
लेकिन, अवमानना क्यो बदनाम है?

डटे रहना शान है,
फिर, बदलते रहना सृष्टी का क्यों फरमान है?

झूठ अलंकार है,
फिर, सच को क्यों अहंकार है?

सफेद में सब रंग है,
तो, सब रंग क्यों अलग अलग मलंग है?

शुभ मंगल है,
तो, शनि का क्यों दंगल है?

पीड़ा परिणाम है,
तो, परमेश्वर का क्या काम है?

मुराद अच्छा है,
मुकर्रर बेमुराद क्यों है?

पहल अकेली है,
तो, दखल क्यों इसकी सहेली है?

सोच-समझ का बोलबाला है,
लेकिन, अकड़ क्यों मतबाला है?

इज्जत का मांग है,
लेकिन, सुंदरता का क्या गुमान है?

रात-गई, बात-गई,
लेकिन, किस्सा क्यों बढ़ गई?

बेटी पराई है,
तो, दुल्हन क्यों अपनायी है?

अनुभव सिखाता है,
तो, पाठ्यक्रम क्यों नहीं बनाता है?

हँसना स्वास्थ्य है,
लकिन, मौन क्यों खास है?

रहमत सब उसका है,
फिर, नीचे का क्या व्यस्तता है?

ईश्वर एक है,
फिर, हम क्यों अनेक हैं?

-गौतम झा

Newsletter

Enter Name
Enter Email
Server Error!
Thank you for subscription.

Leave a Comment