श्रुतकीर्ति : मधुपुरी की शांति स्वरूपा

श्रुतकीर्ति : मधुपुरी की शांति स्वरूपा

श्रुतकीर्ति

मिथिला की वल्लभा, जनक-कुल की शान,
सीता की सखी, हृदय में पावन गान।
श्रुतकीर्ति, नाम जैसे श्रुति का प्रकाश,
धर्म की पथिक, सरलता का सुवास।

शत्रुघ्न की अर्धांगिनी, सौम्यता की छवि,
वैभव के बीच भी मर्यादा सदा जगी।
मधुपुरी की रानी, पर हृदय रहा निर्मल,
सेवा, करुणा, स्नेहयही उनका संबल।

सीता की चचेरी बहन, सखी की तरह सदा,
वनवास की वेदना में भी बाँटी दया।
राजनीति में न बोल सकीं ऊँची आवाज़,
पर मौन में ही गढ़तीं धर्म का विकास।

किस्सों में कम, पर इतिहास में गहरी छाप,
श्रुतकीर्ति थीं स्नेह और त्याग का आलाप।
रामायण के श्लोकों ने जिनका गान किया,
उनके जीवन ने ही स्त्री का सम्मान दिया।

आज भी यदि ढूँढे कोई मधुर त्याग की मूर्ति,
मिलेंगी हृदय में खड़ीशांति स्वरूपा श्रुतकीर्ति। 

  -गौतम झा

Newsletter

Enter Name
Enter Email
Server Error!
Thank you for subscription.

Leave a Comment