
समय क्या बकबास है?
राम रहीम की धरा पर
मानवता की जड़ता पर
फैल रहा है घर-घर बैर
अब नहीं है किसी का खैर।।
अंधियारा है चारो ओर
समय का है बस जोर।।
हाथ जोड़ सब भक्ति करते
मंदिर मस्जिद जुक्ति करते
मन मे भरा है क्षोभ
समय का है सब लोभ।।
सच्चाई के हकदार सभी
झूठ है असरदार अभी
अशांति का भोग है
समय का उपभोग है।।
हवा है कुपोषित
देखो गंगा दूषित
हिमालय पिघल रहा है
समय भी बदल रहा है।।
चाँद पर जाना जरूर
मंगल रहा बहुत दूर
बुध को है गुरुर
शुक्र है भरपूर
शनि में नहीं सहयोग है
रवि का ये अभियोग है।।
उपहास में ही रास है
समय क्या बकबास है?
-गौतम झा
Gunja
10 months agoNice
???? ?????
10 months agoवाह!