
राधा और कृष्ण
तेरा नाम लूँ तो लहरों सा सन्नाटा भर जाए,
मेरे भीतर गूँजे बाँसुरी, जग सारा ठहर जाए।
राधा के आँचल में बस इक असीम प्रतीक्षा है,
जिसे छू भर लें कृष्ण, वक़्त का बंधन बिखर जाए।
साँसों के बीच भी तू है, धड़कन में भी तेरा स्वर,
जैसे हर शबनम का कतरा तेरा रंग उतार जाए।
तेरे बिना ये आकाश तो है, पर तारा विहीन लगे,
जैसे नदिया प्यास बुझाने सागर तक न उतर पाए।
न मिलन है पूरा, न विरह ही कोई अन्तिम रेखा,
ये प्रेम वही है जो हर सीमा से ऊपर उठ जाए।
तेरी हँसी से रोशन हो जाता हर गली-गाँव,
तेरी चुप से सारी धरती अंधियारा ओढ़ जाए।
बरसों से राधा ने मन ही मन तेरा ध्यान किया,
तेरे बिना हर उत्सव बंजर सा गुज़र जाए।
कभी गोपियों की भीड़ में खो जाता है तेरा रूप,
कभी वन के एकांत में संसार तुझमें उतर जाए।
बचपन की गलियों से रणभूमि की गाथा तक,
हर भूमिका में बस तेरा ही माधुर्य झलक जाए।
तू लोक का भी है, तू पारलोक का भी आधार,
तेरे नाम से हर प्रार्थना पंख पा उड़ जाए।
-गौतम झा