खरना
आज खरना है, छठ का दूसरा दिन आया,
मन-तन की पवित्रता का एहसास लाया।
दिन भर का निर्जला उपवास है महान,
शाम को खीर और रोटी का होगा दान।
गुड़ की खीर बनेगी नए चूल्हे पर,
मिट्टी की सोंधी खुशबू फैले हर घर।
आम की लकड़ियों की धीमी-धीमी आंच,
भक्ति में लीन हैं व्रती बिना कोई झांझ।
सूर्य देव को भोग लगेगा सबसे पहले,
छठी मैया के गीत गूंजेंगे हर घर में।
प्रसाद ग्रहण कर, व्रत होगा आरंभ,
अब छत्तीस घंटों का कठिन संकल्प।
तन से शुद्धि हुई कल, नहाय-खाय के साथ,
आज आत्मा की शुद्धि है, थामकर मैया का हाथ।
यह संयम की परीक्षा है, आस्था का यह पर्व,
दूर हों सारे रोग-दोष, बढ़े घर का गर्व।
हर घर में बसे शांति, समृद्धि और प्यार,
खरना की बेला लाई खुशियों की बहार!
-गौतम झा