गुलाबी-मौसम

गुलाबी-मौसम

देश का मौसम अभी गुलाबी है,
झूठों वादों पर खिलता ठाठ नवाबी है।

जली माचिस की तीलियों पर रखी पनीली है,
आका के नज़र में ये पहेली बड़ी नशीली है।

भूख की धूप में भटकती मायूसी है,
बूढ़े बरगद पर छाई दया की उबासी है।

किरदार सभी पुरानी है
छाई बर्बादी की रानाई है।

बदलाव की वैश्विक रवानी है,
भरोसा पर टिकी सारी कहानी है।

-गौतम झा

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