एक मुश्किल

एक मुश्किल

मेरे दरख़्त के शाखों पर, 
पीले पत्तों के झुरमुट में,
अलसाया पंछी,
पैगाम-ए-सुखन का मुंतजिर है।

साँसों में शिकन,
माथे पे सिलवट,
और खामोशी का हर्फ,
बताता है रात भारी थी।

अपने रकीबों के राजदाँ पर,
हैरतअंगेज परवाह है।
पेंच-ओ-खम का ख्याल
गुरबत से कहीं ऊपर है।

-गौतम झा

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