भारत का लौह पुरुष

भारत का लौह पुरुष

लौह पुरुष

नडियाद में जन्म लिया, एक साधारण किसान परिवार में,
वल्लभ नाम की गूँज उठी, भारत के हर द्वार में।

बैरिस्टरी का मोह छोड़ा, जब गांधी ने स्वर पुकारा,
सत्याग्रह का पथ अपनाया, जीवन का अर्थ सँवारा।

बारडोली की धरती पर, लगान का किया प्रतिरोध,
नेतृत्व ऐसा अडिग रहा, मिटा गया हर अवरोध।

वहाँ की नारी शक्ति ने, उन्हेंसरदारकह पुकारा,
अंग्रेजी हुकूमत के आगे, झुकने से इनकार किया सारा।

स्वतंत्रता के पश्चात जब आई, बिखरे राज्यों की चुनौती,
छोटी-छोटी रियासतों में थी, एकता की कमी अनूठी।

लोहे जैसा दृढ़ संकल्प, किसी धमकी से डिगा,
पाँच सौ रियासतों को जोड़ा, एक भारत का स्वप्न जगा।

पहले गृहमंत्री बनकर, दिखाया कुशल प्रशासन,
देश की सुरक्षा, एकतारहा जिनका धर्म शासन।

एकता दिवसपर याद करे, सारा भारत उन्हें,
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में, गूँजता उनका अभिमान।

-गौतम झा

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