जन्माष्टमी

जन्माष्टमी

जन्माष्टमी

भाद्रपद अष्टमदिन रात्री बड़ा रिमझिम था
कोमल,उज्ज्वल,दिव्य, कमल अवतरित था।

अंग-अंग में लहर रास जगानेवाला था
शांत शोणित में आग लागानेवाला था।

नर्म, सलोना, स्याह जुड़ा में मयूरी अलवेला था
मस्त, चंचल, जादू-टोना, बचपन जानलेवा था।

दीन, दुखी, मलीन संग प्रीत पिघलनेवाला था
संत अनंत, सदा भवंत, संदेश सुनानेवाला था।

मुरलीधर, मधुसूदन, माखनचोर बड़ा मतवाला था
निष्काम, कर्मयोगी,सुसज्जित,अच्युत,नंदलाला था।

धनद, धनेश, कंचन, उपकृत विधेय रखवाला था
राधेय, कौन्तेय, पार्थ, अभिमन्यु का भुजशाला था।

गौतम झा

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3 Comments

  •  
    Praveen Kumar Jha
    14 days ago

    भाव भरा अनुपम सृजन 👌

  •  
    Praveen Kumar Jha
    14 days ago

    भाव भरा अनुपम सृजन 👌

  •  
    Ashok
    14 days ago

    Truly an insightful creation by a creative mind, journalist and a poet all rolled into one.Amazing.